
महाविद्यालय के कंप्यूटर एप्लीकेशन विभाग और कला संकाय के छात्र-छात्राओं को महेशपुर का एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण कराया गया। मौर्यकालीन नाट्यशाला और अभिलेख के लिए विख्यात रामगढ़ के सन्निकट रेंड़ नदी के तटवर्ती क्षेत्र में आठवीं सदी ईस्वी से 13 मी सदी ईस्वी के मध्य कला-संस्कृति का महेशपुर में अभूतपूर्व उत्कर्ष हुआ है। महेशपुर के बारे में जानने, उसके कला को निकट से समझने और वहां की मूर्तियों को पास से देखने के उद्देश्य से इन छात्र छात्राओं को महाविद्यालय द्वारा यह शैक्षणिक भ्रमण कराया गया।
इस भ्रमण में उपलब्ध अभिलेख एवं मूर्तियों से संबंधित जानकारी छात्र-छात्राओं को इतिहास विभाग की सहायक प्राध्यापक श्रीमती ज्ञानलता केरकेट्टा एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रितेश वर्मा द्वारा विस्तारपूर्वक प्रदान किया गया। इस दौरान छात्र-छात्राओं में भरपूर कौतूहल देखा गया। भ्रमण के दौरान पास के मंदिर का भी अवलोकन छात्र-छात्राओं ने किया एवं वहां उपलब्ध अभिलेख, मूर्ति कला एवं अन्य स्रोत के महत्व के बारे में विस्तार से जाना।
इस दौरान छात्र-छात्राओं ने पास की रिहन्द नदी के प्रवाह और कटाव को निकट से देखा। प्राचार्य डॉ.रितेश वर्मा ने छात्र-छात्राओं को बताया की यहाँ पर निकट में स्थित मतिरिंगा की पहाड़ियों से निकलकर यह रिहन्द नदी उ.प्र. के विभिन्न जिलों में बहते हुए सोनभद्र जिले में सोन नदी में जाकर मिल जाती है और सोन नदी की जलधारा के रूप में बहते हुए यह रामपुर जिले में गंगा नदी में समाहित हो जाती है।
भ्रमण के दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी श्री विनितेश गुप्त के निर्देशन में छात्र-छात्राओं ने आस-पास के क्षेत्रों की साफ-सफाई भी की और यह सन्देश दिया की नए साल के उपलक्ष्य में जब भी आप कही घूमने जाये तो उस क्षेत्र की साफ़-सफाई का भी ध्यान रखें। इस भ्रमण में आईक्यूएसी के समन्यवक श्री बिनय अम्बष्ठ, कंप्यूटर एप्लीकेशन के विभागाध्यक्ष श्री संदीप डे, सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष श्री वेद प्रकाश पटेल, कंप्यूटर विभाग के सहायक प्राध्यापक अफरोज अंसारी, फैज़ुल हुड्डा एवं कला संकाय से सहायक प्राध्यापक सुश्री ममता दुबे, सुश्री अनुराधा एक्का, सुश्री प्रज्ञा सिंह राजपूत, श्री विनोद चौधरी उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम की कुछ प्रमुख झलकियां इस प्रकार रही –














