पहला सुख, निरोगी काया की अवधारणा को आत्मसात कर आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दिन महाविद्यालय और मंजूषा एकेडेमी अंबिकापुर के संयुक्त तत्वाधान में महाविद्यालय परिसर में योगाभ्यास कर योग दिवस मनाया गया। करीब सात बजे से शुरू हुआ योगाभ्यास कार्यक्रम निर्धारित प्रोटोकाल के तहत प्रार्थना व ध्यान मुद्रा, सूर्यनमस्कार से प्रारंभ हुआ और 7:45 बजे समाप्त हुआ। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभाकक्ष में योग प्रशिक्षक श्री देव नारायण सिंह के मार्गदर्शन में महाविद्यालय के सभाकक्ष में आयोजित योगाभ्यास में महाविद्यालय के सलाहकार श्री राहुल जैन, डायरेक्टर श्रीमती रीनू जैन, प्राचार्य डॉ रितेश वर्मा विभिन्न विभागों के विभाग प्रमुख, सहायक प्राध्यापक, कार्यालयीन कर्मचारी तथा मंजूषा अकादमी के सदस्यों ने शामिल होकर संयुक्त रुप से योगाभ्यास कर लाभ प्राप्त किया ।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ रितेश वर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा की कि प्रतिवर्ष 21 जून को 2015 से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है, इस दिन सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन में प्रवेश करता है जो ध्यान, चिंतन, मनन और प्राणायाम के लिए उत्तम होता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम वसुदेव कुटुंबकम है। उन्होंने कहा की योग का उद्देश्य पूरे मानव जाति का कल्याण करना है। योग करने से हमें शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है, प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ोतरी होती हैं और तन-मन पूरी तरह से स्वस्थ रहता है। यदि हम अपने नियमित दिनचर्या में योग को शामिल करते हैं तो हमारे शरीर में उर्जा का संचार होने लगता है जो हमें तरोताजा और खुश रखता है। योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है यह एक मानसिक साधना है। योग साधना करते रहने से एकाग्रता, ध्यान,चिंतन औ मनन करने की क्षमता में वृद्धि होती है जिससे आत्मा परमात्मा के ध्यान में मग्न होकर समाधि में लीन हो जाता है और अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है।
अगली कड़ी में योग प्रशिक्षक देव नारायण सिंह के द्वारा योग के विभिन्न आसनों का प्रयोग कर सभी को योगाभ्यास कराया गया। उन्होंने प्राणायाम, अनुलोम, विलोम सहित अन्य योगासन कराया। योग प्रशिक्षक के निर्देशन में प्राणायाम, अर्ध-कटिचक्रासन, भुजंगासन, शवासन, वज्रासन, बद्ध-कोणासन, और वृक्षासन जैसे योग कराए गए।
योगाभ्यास के बाद महाविद्यालय के सलाहकार श्री राहुल जैन ने कहा की कि योग भगवान का सबसे बड़ा वरदान है, ऋषि मुनियों के तपस्या का फल है भारतीय सनातन धर्म ग्रंथों में इसे मोक्ष का मार्ग बताया गया है। उन्होंने आगे बताया कि यदि हम नियमित रूप से योग करते हैं तो सभी प्रकार के रोगों से मुक्त होकर तन मन को खुशहाल बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर दुनिया में आज हर छठा व्यक्ति भारतीय है, तो यदि भारतीय स्वस्थ हो जाएंगे तो दुनिया स्वस्थ हो जाएगी। आज भारत का परचम हर तरह से दुनिया पर लहरा रहा है, इसलिए दायित्व बनता है कि एक जीवन मिला है, उस जीवन में शरीर, मन, दिमाग को हर तरह से स्वस्थ रखें।
अंत में महाविद्यालय के परम्परा अनुसार महाविद्यालय के सलाहकार श्री राहुल जैन के द्वारा योग प्रशिक्षक श्री देवनारायण सिंह पैकरा जी का सम्मान प्रशस्ति पत्र एवं उपहार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन महाविद्यालय के कम्प्यूटर विज्ञान विभाग के विभागप्रमुख अफरोज अंसारी के द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम की कुछ प्रमुख झलकियां इस प्रकार रही –